पवित्र गीता जी का ज्ञान किसने कहा

पवित्र गीता जी के ज्ञान को उस समय बोला गया था जब महाभारत का युद्ध होने जा रहा था। अर्जुन ने युद्ध करने से इन्कार कर दिया था। युद्ध क्यों हो रहा था? इस युद्ध को धर्मयुद्ध की संज्ञा भी नहीं दी जा सकती क्योंकि दो परिवारों का सम्पत्ति वितरण का विषय था। कौरवों तथा
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गीता ज्ञान दाता ब्रह्म (काल) की उत्पत्ति का संकेत

अध्याय 10 के श्लोक 2 में कहा है कि अर्जुन मेरी उत्पत्ति (जन्म) को न तो देवता जानते हैं, न ही महर्षि जन जानते हैं क्योंकि यह सब मेरे से पैदा हुए हैं। इससे स्वसिद्ध है कि ब्रह्म (काल) की उत्पति तो हुई है परंतु देवता व ऋषि नहीं जानते। जैसे पिता जी की उत्पत्ति को बच्चे नहीं बता
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क्या ब्रह्म का जन्म नहीं है तथा सर्व पाप नष्ट कर देता है ?

प्रश्न- गीता अध्याय 10 श्लोक 2 में तथा 3 में कहा है कि मेरी उत्पत्ति को कोई नहीं जानता। जो मुझे अनादि अजन्मा तत्व से जानता है वह सर्व पापों से मुक्त हो जाता है। इससे स्पष्ट है कि ब्रह्म का जन्म नहीं है तथा सर्व पाप नष्ट कर देता है।
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क्या गीता ज्ञान दाता प्रभु सर्व शक्तिमान है?

प्रश्न - गीता अध्याय 15 श्लोक 18 में कहा है कि मैं लोक में, वेद में पुरुषोत्तम नाम से प्रसिद्ध हूँ। इस से तो यही सिद्ध हुआ कि गीता ज्ञान दाता प्रभु ही सर्व शक्ति मान है तथा गीता अध्याय 12 पूर्ण ही गीता ज्ञान दाता की ही महिमा कह रहा है।
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क्या ध्यान करने से और व्रत रखने से शांति प्राप्त होगी

प्रश्न - मैं गीता अध्याय 6 श्लोक 10 से 15 में वर्णित विधि अनुसार एक आसन पर बैठकर सिर आदि अंगों को सम करके ध्यान करता हूँ, एकादशी का व्रत भी रखता हूँ इस प्रकार शान्ति को प्राप्त हो जाऊँगा।
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स्वर्ग की क्या परिभाषा है

उदाहरणार्थ स्वर्ग को एक होटल (रेस्टोरेंट) जानों। जैसे कोई धनी व्यक्ति गर्मियों के मौसम में शिमला या कुल्लु मनाली जैसे शहरों में ठण्डे स्थानों पर जाता है। वहाँ किसी होटल में ठहरता है। जिसमें कमरे का किराया तथा खाने का खर्चा अदा करना होता है।
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श्राद्ध निकालने(पितर पूजने) वाले पितर बनेंगे, मुक्ति नहीं

गीता अध्याय 9 के श्लोक 25 में कहा है कि देवताओं को पूजने वाले देवताओं को प्राप्त होते हैं, पितरों को पूजने वाले पितरों को प्राप्त होते हैं, भूतों को पूजने (पिण्ड दान करने) वाले भूतों को प्राप्त होते हैं अर्थात् भूत बन जाते हैं,
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अन्य देवताओं (रजगुण ब्रह्मा जी, सतगुण विष्णु जी, तमगुण शिवजी) की पूजा अनजान ही करते हैं

अध्याय 7 के श्लोक 22 में कहा है कि वह जिस श्रद्धा से युक्त हो कर जिस देवता का पूजन करता है क्यांेकि उस देवता से मेरे द्वारा ही विधान किए हुए कुछ इच्छित भोगों को प्राप्त करते हैं। जैसे मुख्य मन्त्री कहे कि नीचे के अधिकारी मेरे ही नौकर हैं
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तथ्यों सहित जानिए क्या गीतानुसार भगवान कृष्ण वास्तव में सर्वोच्च परमात्मा हैं?

युगों से, विभिन्न धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, लोग कुछ देवताओं को सर्वोत्तम मानते हैं और विशेष नामों से उनका अभिवादन करते हैं। उस सर्वोत्तम को सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापी माना जाता है। हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई धर्म
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चार युगों का वर्णन

चार युग हैं। - 1) सत्ययुग 2) त्रेतायुग 3) द्वापर युग 4) कलयुग। 1) सत्ययुग का वर्णन:- सत्ययुग की अवधि 17 लाख 28 हजार वर्ष है। मनुष्य की आयु प्रारम्भ में दस लाख वर्ष होती है। अन्त में एक लाख वर्ष होती है।
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गीता का दिव्य सारांश (A divine summary of Srimad Bhagavad Gita)

इस पुस्तक में श्रीमद्भगवत गीता के सम्पूर्ण ज्ञान का यथार्थ प्रकाश किया गया है जो गीता से 18 अध्यायों के 700 श्लोकों का हिन्दी सारांश है। ऐसा आज तक किसी हिन्दू धर्म के गुरू ने तथा गीता के अनुवादकर्ता ने नहीं किया।
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शरीर के कमलों की यथार्थ जानकारी

कबीर सागर में अध्याय ‘‘कबीर बानी‘‘ पृष्ठ 111 पर शरीर के कमलों की यथार्थ जानकारी है जो इस प्रकार हैः- 1) प्रथम मूल कमल है, देव गणेश है। चार पंखुड़ी का कमल है। 2) दूसरा स्वाद कमल है, देवता ब्रह्मा-सावित्राी हैं। छः पंखुड़ी का कमल है।
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राम सेतु का निर्माण कैसे हुआ

नल तथा नील को शरण में लेना त्रोतायुग में स्वयंभु कविर्देव(कबीर परमेश्वर) रूपान्तर करके मुनिन्द्र ऋषि के नाम से आए हुए थे।  एक दिन अनल अर्थात् नल तथा अनील अर्थात् नील ने मुनिन्द्र साहेब
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गुरू बिन मोक्ष नही

श्रीमद् भगवत गीता चारों वेदों का सारांश है। गीता अध्याय 2 श्लोक 7 में अर्जुन ने कहा कि हे श्री कृष्ण! मैं आपका शिष्य हूँ, आपकी शरण में हूँ। गीता अध्याय 4 श्लोक 3 में श्री कृष्ण जी में प्रवेश करके काल ब्रह्म ने अर्जुन से कहा कि तू
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केदारनाथ मंदिर भारत में तथा पशुपति मंदिर नेपाल में कैसे बना?

(केदार का अर्थ दलदल है) महाभारत में कथा है कि पाँचों पाण्डव (युद्धिष्ठर, अर्जुन, भीम, नकुल व सहदेव) जीवन के अंतिम समय में हिमालय पर्वत पर तप कर रहे थे। एक दिन सदाशिव यानि काल ब्रह्म ने दुधारू भैंस का रूप बनाया
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दास की परिभाषा

एक समय सुल्तान एक संत के आश्रम में गया। वहाँ कुछ दिन संत जी के विशेष आग्रह से रूका । संत का नाम हुकम दास था। बारह शिष्य उनके साथ आश्रम में रहते थे। सबके नाम के पीछे दास लगा था। फकीर दास, आनन्द दास, कर्म
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तम्बाकू से गधे-घोड़े भी घृणा करते हैं

एक दिन संत गरीबदास जी (गाँव-छुड़ानी, जिला-झज्जर वाले) किसी कार्यवश घोड़े पर सवार होकर जींद जिले में किसी गाँव में जा रहे थे। मार्ग में गाँव मालखेड़ी (जिला जींद) के खेत थे। उन खेतों में से घोड़े पर बैठकर जा रहे थे।
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सांसारिक चीं-चूं में ही भक्ति करनी पड़ेगी

एक थानेदार घोड़ी पर सवार होकर अपने क्षेत्रा में किसी कार्यवश जा रहा था। ज्येष्ठ (श्रनदम) का महीना, दिन के एक बजे की गर्मी। हरियाणा प्रान्त। एक किसान रहट से फसल की सिंचाई कर रहा था। बैलों द्वारा कोल्हू की
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कर नैनों दीदार महलमें प्यारा है

कर नैनों दीदार महलमें प्यारा है।।टेक।। काम क्रोध मद लोभ बिसारो, शील सँतोष क्षमा सत धारो। मद मांस मिथ्या तजि डारो, हो ज्ञान घोडै असवार, भरम से न्यारा है।1। धोती नेती बस्ती पाओ, आसन पदम जुगतसे लाओ।
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क्या पाण्डव सदा स्वर्ग में ही रहेंगे?

कबीर परमेश्वर जी का उत्तरः- नहीं धर्मदास! जो पुण्य युधिष्ठर ने उनको प्रदान किए हैं। उन पुण्यों का तथा स्वयं किए यज्ञ आदि धार्मिक अनुष्ठानों का पुण्य जब स्वर्ग में समाप्त हो जाएगा तब सर्व पुनः नरक में डाले जाऐंगे। युद्ध
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Story of Timur Lang

Unknown to the masses is the fact that God Kabir granted Timur Lane the kingdom of 7 generations. This short video (in Hindi) gives an account of how God Kabir met Timur and his rise to power. 
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संत रामपाल जी महाराज जी की जीवनी

संत रामपाल जी का जन्म 8 सितम्बर 1951 को गांव धनाना जिला सोनीपत हरियाणा में एक किसान परिवार में हुआ। पढ़ाई पूरी करके हरियाणा प्रांत में सिंचाई विभाग में जूनियर इंजिनियर की पोस्ट पर 18 वर्ष कार्यरत रहे।
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कबीर साहेब चारों युगों में आते हैं

तत्वज्ञान के अभाव से श्रद्धालु शंका व्यक्त करते हैं कि जुलाहे रूप में कबीर जी तो वि. सं. 1455 (सन् 1398) में काशी में आए हैं। वेदों में कविर्देव यही काशी वाला जुलाहा (धाणक) कैसे पूर्ण परमात्मा हो सकता है?
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पूर्ण संत की पहचान

वेदों, गीता जी आदि पवित्र सद्ग्रंथों में प्रमाण मिलता है कि जब-जब धर्म की हानि होती है व अधर्म की वृद्धि होती है तथा वर्तमान के नकली संत, महंत व गुरुओं द्वारा भक्ति मार्ग के स्वरूप को बिगाड़ दिया गया होता है। फिर परमेश्वर स्वयं
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संत सताने की सजा

आदरणीय गरीबदास साहेब जी का जन्म पावन गाँव छुड़ानी जिला-झज्जर में श्री बलराम जी धनखड़ (जाट) के घर हुआ। आपजी को पूर्णब्रह्म कबीर परमेश्वर (कविर्देव) सतलोक (ऋतधाम) से सन् 1727 में सशरीर आकर
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मोक्ष प्राप्ति के नियम (कबीर परमात्मा के

आज कलियुग में भक्त समाज के सामने पूर्ण गुरु की पहचान करना सबसे जटिल प्रश्न बना हुआ है। लेकिन इसका बहुत ही लघु और साधारण–सा उत्तर है कि जो गुरु शास्त्रो के अनुसार भक्ति करता है और अपने अनुयाईयों अर्थात
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